7 दिसंबर 2018 को आपने हमने वोट किया. किसे किया ये 11 दिसंबर को सबके सामने आ गया. पहले तीन दिन लग गए ये फाइनल होने में कि कौन होगा प्रदेश का मुखिया. मीडिया की एक पूरी लॉबी सचिन को यंग आइकन के रूप में पेश कर अपना आंकलन कर रही थी तो एक धड़ा गहलोत ही बनेंगे पर अनुभव को तरजीह दे रहा था. खैर, सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट आलाकमान ने फाइनल किए. 17 दिसंबर को शपथ हुई. कबीना और राज्यमंत्री बने तो उनके विभाग भी दिल्ली में तीन रातें माथापच्ची के बाद तय हुए.
अब राजधानी जयपुर और खासकर जयपुर में बड़ा गहन मंथन चल रहा है. मीडिया संस्थानों में डेली गॉसिप्स में शुमार हो गया है कि कौन होगा सीएम का प्रेस सलाहकार. वसुंधरा सरकार ने अपने पिछले तीन कार्यकाल में पहले बृजेश शर्मा, फिर दो बार महेन्द्र भारद्वाज को इस पद पर रखा. अशोक गहलोत ने पहले गोविंद चतुर्वेदी फिर मोहम्मद यासीन को प्रेस सलाहाकार बनाया. दरअसल ये टर्म विदेशों से प्रेस अटैची के रुप में लिया गया, जिसे थोड़ा सम्मानजनक शब्द में प्रेस सलाहाकार टर्म दिया गया. संभवत वसुंधरा सरकार ने महेन्द्र भारद्वाज को ओएसडी पद दिया, काम प्रेस सलाहाकार का ही रहा.
अब इस बार गहलोत किसे मीडिया सलाहकार बनाते हैं, ये चर्चा का विषय है. कुछ लोग यहां भी अनुभव के आधार पर कुछ पुराने नामों का हवाला दे रहे हैं. इनमें उन दो नामों का हवाला है जो पहले सीएम के प्रेस सलाहकार रह चुके हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इस बार यंग सलाहकार भी हो सकता है क्योंकि पिछले दस सालों में इलेक्ट्रोनिक और सोशल विंग मीडिया में काफी एक्टिव है तो उस जनरेशन का ही सलाहकार हो सकता है. इन नामों में भी एक टीवी जर्नलिस्ट का नाम कुछ आगे है. हाल ही में मीडिया छोड़ कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की फिराक में रहे एक युवा प्रिंट जर्नलिस्ट का नाम भी चर्चा में आने लगा है. इन्हें टिकट न मिला तो प्रेस सलाहाकार पद मिल सकता है, ये तर्क इनके सपोर्टर्स दे रहे हैं.
कुछ लोगों का कहना है कि इस बार हो सकता है दिल्ली से भी कोई जर्नलिस्ट बाजी मार कर ले जाए. पर इन सभी अटकलों के बीच प्रेस सलाहकार की नियुक्ति में इतना समय क्यों लग रहा है. क्या इसका निर्णय भी दिल्ली में आधी रात को होगा, ये गोसिप भी साथ साथ चल रहे हैं.
कुछ लोग स्वंयभू अपना खुदका नाम चला रहे हैं, फेसबुक और चाय की थड़ी पर, उन्हें उनके साथ चाय पीते लोग ये नहीं कह पा रहे, दिल बहलाने को गालिब ये खयाल अच्छा है.
इंतजार आपको भी है, हम को भी है ?

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